GREEN AGRO CHEMICALS ORGANIC MANURE

हैंड ऑफिस :-जलालाबाद , सहारनपुर उत्तर प्रदेश

कंपनी चेयरमैन : माननीय विजयपाल जी (२० वर्ष जैविक खेती का अनुभव + साधारण व्यक्तित्व + कर्मठ )

वर्मी कम्पोस्ट
आज भारत सरकार वर्मी कम्पोस्ट की यूनिट को ज्यादा से ज्यादा किसानो को लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है !जिससे ज्यादा से ज्यादा जैविक उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सके जिससे बढ़ती हुई बीमारियों पर नियंत्रण किया जा सके आओ सभी किसान भाई ग्रीन एग्रो केमिकल के साथ मिलकर जैविक खेती की शुरुआत करे अपने खेत में वर्मी कम्पोस्ट की यूनिट को लगाकर जैविक उत्पादन में सहयोग करे और स्वस्थ भारत का निर्माण करे !(जय किसान जय ग्रीन एग्रो )

वर्मी कम्पोस्ट कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग प्रोसेस :- **प्रश्न **:1:एक बैड में क्या खर्च आता है और कितनी आय किसान की होगी ? उत्तर : एक बैड प्लास्टिक पॉलीथिन का पंद्रह फुट लम्बा और चार फुट चौड़ा बैड होता है जिसमे 15 कुंतल गोबर आता है जिसमे 30 किलोग्राम्स केचुआ डाला जाता है यह गोबर केचुआ का भोजन होता है जिसको यह तीन महीने में खाकर 40% वेस्ट निकालता है जिसको वर्मी कम्पोस्ट कहा जाता है यानि तीन महीने में 600 किलोग्राम्स जैविक खाद तैयार हो जाती है जिसको संस्था 3/- रूपए प्रति किलोग्राम और 4/- रूपए प्रति किलोग्राम् के हिसाब से किसान से खरीद लेती है जिसका अग्रीमेंट संस्था और किसान के बीच हो जाता है एक बैड को लगाने का खर्च दस हजार से चौदह हजार तक आता है,लेकिन संस्था किसान से सिर्फ दस हजार लेती है,और बैड उसके खेत में लगा देती है,संस्था पच्चीस बैड या उससे अत्यधिक बैड ही किसान के खेत में लगाती है, अगर पच्चीस बैड से कम बैड किसान लगाना चाहता है ,तो संस्था उसे अपनी रेंटल या खुद की जमीन पर लगाती है ! संस्था और किसान का कॉन्ट्रैक्ट अग्रीमेंट 36 और 25 महीने के लिए होता है !

वर्मीकंपोस्टिंग के लाभ:

केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है। यह केंचुआ आदि कीड़ों के द्वारा वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे आदि को विघटित करके बनाई जाती है। वर्मी कम्पोस्ट में बदबू नहीं होती है और मक्खी एवं मच्छर नहीं बढ़ते है तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता है।

  • पौधों के विकास, अंकुरण और फसल उपज में सहायता करता है ।
  • मिट्टी की भौतिक संरचना को बढ़ाता है।
  • वर्मीकम्पोस्ट के उपयोग से मिट्टी अधिक उपजाऊ और जल प्रतिरोधी हो जाती है।
  • पौधे की जड़ों का विकास करता है।
  • उर्वरक के रूप में मिट्टी को ऑक्सिन, जिबरेलिक एसिड और अन्य पौधों की वृद्धि हार्मोन प्रदान करता है।
  • मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्व जोड़ता है।
  • जैविक अपशिष्ट को उपयोगी तरीके से पुनर्चक्रित करने में मदद करता है।
  • इसे घर के अंदर और छोटे भवनों में भी किया जा सकता है, जिससे वर्ष भर खाद उपलब्ध रहेगी।
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